आपने बुलडोजर का नाम तो कई बार सुना होगा. खासकर जब किसी अवैध निर्माण या अतिक्रमण को हटाने की बात आती है तो उसे बुलडोजर से ढहा दिया जाता है. बुलडोजर कार्रवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी मामला चल रहा है, जिसकी अगली सुनवाई 17 सितंबर 2024 को होगी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बुलडोजर इसका असली नाम नहीं है। इसका माइलेज भी अन्य वाहनों की तुलना में अलग तरीके से मापा जाता है। इस आर्टिकल में हम बुलडोजर के माइलेज और उसके असली नाम के बारे में जानेंगे।
बुलडोजर एक बहुत ही शक्तिशाली मशीन है. आपने इसे खुदाई करते समय, मलबा हटाते समय या किसी निर्माण स्थल पर देखा होगा। जेसीबी भारत में सबसे बड़ी बुलडोजर बेचने वाली कंपनी है। पीले बुलडोजरों पर जेसीबी ब्रांड का नाम काले रंग से लिखा हुआ देखना आम बात है। इसके अलावा अन्य कंपनियां भी बुलडोजर बेचती हैं।
बुलडोजर का असली नाम
बाजार में आपको कई तरह के बुलडोजर मिल जाएंगे. इनकी क्षमता, माइलेज, कीमत आदि में अंतर होता है। आप जिस बुलडोजर को जानते हैं उसका असली नाम बेकहो लोडर है। यह बड़ी मशीन जिसे हम बुलडोजर कहते हैं असल में एक बेकहो लोडर है, जो आपके लिए बहुत काम कर सकता है।
बुलडोजर का माइलेज
'माइलेज' शब्द का इस्तेमाल बुलडोजर यानी बैकहो लोडर के लिए थोड़ा अलग तरीके से किया जाता है। कारों या बाइक के विपरीत, उनका माइलेज किलोमीटर प्रति लीटर में नहीं मापा जाता है। इसके बजाय हम देखते हैं कि बुलडोजर एक घंटे में कितना डीजल खर्च करता है। माइलेज एक बुलडोजर द्वारा एक घंटे तक चलने पर खपत की गई डीजल की मात्रा है। अगर हम एक साधारण बुलडोजर की बात करें तो एक घंटे के संचालन के दौरान लगभग 4-5 लीटर डीजल की खपत हो सकती है।
ये कारक माइलेज तय करेंगे
एक बेकहो लोडर एक घंटे में कितना डीजल खर्च करता है यह कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे-
मॉडल: विभिन्न मॉडलों में अलग-अलग इंजन होते हैं, इसलिए उनकी ईंधन खपत भी अलग-अलग होगी।
काम का प्रकार: यदि बैकहो लोडर को भारी काम करना है, तो यह अधिक डीजल की खपत करेगा।
मिट्टी का प्रकार: यदि मिट्टी कठोर है, तो बैकहो लोडर को अधिक मेहनत करनी पड़ेगी, जिससे डीजल की खपत बढ़ सकती है।
मशीन की स्थिति: एक अच्छी तरह से रखी गई मशीन कम डीजल की खपत करेगी।